अभ्यास- 2
ऋषि प्रणाली (आशुलिपि)
मात्राएँ स्वरों का अध्ययन
हिंदी शॉर्टहैंड में स्वर (मात्राएँ ) ध्वनि उच्चारण बिना किसी दूसरे ध्वनि की सहायता के अपने आप ही हो सकता है। यहाँ स्वर दो प्रकार से लिखे जाते है । एक मोटे बिंदु और मोटे डैस से और एक हल्के बिंदु और हल्के डैस से लिखा जाता है । मात्राएँ शॉर्टहैंड में मात्राएँ नीचे दरसाई गई है मात्राएँ दो प्रकार से दरसाई गई है । पेज देखें
कुछ स्वर या मात्राएँ जैसे (अ, आ और ए,ओ अथवा इ, ऊ ) मोटे बिंदु और मोटे डेस से लिखे जाते है।
चिन्हों को देखने से प्रतीत होता हैकि तीन -तीन स्वर या मात्राएँ नियत की गई हैं एक हि चिन्ह एक स्थान पर एक स्वर को और दूसरे स्थान पर दूसरे स्वर को और तीसरे स्थान पर तीसरे स्वर को सूचित करता है इन्हें स्वरों के स्थान कहते हैं। किसी रेखा के पहले स्थान को प्रथम,बीच के स्थान को द्वितीय और अंत के स्थान को तृतीय स्थान कहते हैं इंग्लिश में (frist place second place or third place ). के स्वर कहते है। यह स्थान जिस जगह से अक्षर शुरु होता है वही से आरंभ होते है चित्र -
जब स्वर ऊपर या नीचे आने वाले व्यंजन केपहले रख जाता है तो पहले पड़ा जाता है।
जब स्वर ऊपर जाने बाले या नीचे आने वाले व्यंजन के बाद रखा जाता है तो व्यंजन के बाद पड़ा जाता है ।
हल्के बिंदु और हल्के डेस
कुछ स्वर ऐ, आई या आइ और औ , अं अथवा इ , उ है जो हल्के बिंदु और हलके डेस से लिखे जाते है ।
अनुस्वार 'अं ' यदि व्यंजन के पहले या बाद में अकेला आये तो यथा विधि अपने द्वितीय स्थान पर रख दिया जाता है ।
अभ्यास
जब सब्रो के स्थान पर मात्राओं का प्रयोग किया जा य तो
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