एक भाषा में बहुत से ऐसे शब्द हैं जो प्रायः हर एक वाक्य में काम आते हैं। इनके लिए संक्षिप्त लिपि में एक प्रकार के संक्षिप्त चिन्ह निर्धारित किए गए हैं।
जिन्हें शब्द चिन्ह कहते हैं।
शब्दों में लिंग और विचार से जो परिवर्तन होते हैं, उनका शब्द चिन्हों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि वे मुहावरे में पढ़े जाते हैं।
एक दो ऊपर,पै, पर में,
है हो हैं, हूं का को,
कि की के
ने से कौन कुछ
मैं मैंने मुझे मेरा मुझको
उस उसने उसे उसका उसको
वह वे उसी इसी
कम-क्या किया हाँ हुआ-ई-ये, होता-होना
तुम तुमने तुम्हें तुम्हारा तुमको
उन उनने उन्हें उनका उनको
बाद बड़ा-डी-बड़े बहुत-बुरा बात
अतः-अति भाँति-तौर इत्यादि-अत्यन्त
हाथ थोड़ा था-थी-थे
अतः-अति भाँति-तौर इत्यादि-अत्यन्त
हाथ थोड़ा था-थी-थे
साथ साथी न नहीं
कैसा-सी-से किस-किसी किसलिये
सम्पूर्ण समय यह ये
साहब-सुबह सब-सबसे-सूबे सबक-सबब
इस इन सामान-सामना-ने सामना सम्बन्ध
इन्हें भी देखें-
चाह-चाहते-चाहिए छोटा अच्छा जिस जिन
मालूम मध्य-मतलब मन-मान-माना माने-मनो-मानी
आज-जाय भोजन-जो जरूर-री जरूरत
समाज जीवन जीविका
लाला-लम्बा लोग-लेकिन लिये-लाये
ऐसा-आशा स्वतः इसलिये- ईशवर
अब कब जब तब
ताकत वख्त-किताब कहता-ती ते कहना
वास्तव-अथवा वास्ते सर्वथा
ज्यादा चीज एकदम इकठ्ठा
आवश्यक सकता,सकते,सके शिकायत शक्त्ति
तथा-तांई तो तथापि तक
अन्य-नांई नीचे-गिरा नित्य नया-नई
नाता नेता नीति आवश्यकता
अपना-नी-ने इतना-नी-ने उतना-नी-ने
कितना जितना तितना
दुगना तिगुना
तमाम-ताजुब तुरंत-तले तनिक-कतई
परन्तु-प्रायः प्रत्येक प्रति प्रतिकूल पूर्वक
तरह,तरफ तरसों, बेहतर भीतर,तरकीब
कर-करके-करना करीब, किनारे कारण
पास, पश्चात् पेश आपस पेश्तर
बाहर, खराब देर दूर-धीरे
इधर उधर किधर जिधर तिधर
काला-कल केवल मुश्किल
काबिल-बिला बल्कि बिलकुल-कब्ल-बल
हिस्सा-हफ्ता हमेशा हिन्दू हिंदी हिन्दुस्तान
बारे-बार मेंबर नम्बर
सहायता समेत-सेटमेत सहित-सम्मति
अचम्भा-बारम्बार परमात्मा-समाप्त
महाशय-मुसलमान मुसीबत-मुस्लिम
इन्हें भी देखें
कहना कहते हुये कहते हैं
चूँकि चौड़ाई जेनरल खिलाफ
व्यापार विपत वापस
वाजिब बेजा वजह
वरन विरुद्ध विधि