एक छोटा सा चाप (Arc) जब किसी सरल या वक्र व्यन्जन के प्रारम्भ या अंत में लगाया जाता है तो स्त,स्थ या ष्ट को सूचित करता है।
चाप वृत्त की रेखा ( परिधि) के एक छोटे से हिस्से को कहते है। इस चाप को व्यंजन में लगाते समय इस बात का बहुत ध्यान रखना चाहिए की यह चाप का आंकड़ा बढ़कर किसी दशा में भी व्यंजन के आधे के ऊपर न जाने पावे।जहाँ तक होयः आँकड़ा व्यंजन के आधे से कम पर ही लगाया जाये।
नीचे-
स्त - स्थ -ष्ट - प स्त - स्थ - ष्ट - ट
स्त - स्थ - ष्ट - म स्त - स्थ - ष्ट - ष्ट
प - स्त - स्थ - ष्ट म- स्त - स्थ - ष्ट
र - स्त - स्थ - ष्ट क - स्त - स्थ - ष्ट
यह चाप 'स' वृत्त के नियमो के अनुसार लिखा और पड़ा जाता है तथा स्वर आदि के लिखने के नियम वही हैं। अंतर केवल यह होता है कि आरम्भ में 'अ या आ' आने पर पूरा संकेत लिखा जाता है पर अंत में 'ई' आने पर पूरा संकेत न लिखकर 'स' के नियमानुसार यह चाप जरा (थोड़ा) डैस के रूप में बड़ा दिया जाता है। आदि अंत में दूसरी मात्राएँ आने पर 'स'वृत्त के सामान यह आंकड़ा न लिखकर पूरे संकेत के रूप में लिखा जाता है और यह चाप बीच इन नहीं लगाया जाता है।
नीचे चित्र--
2. स्तन मस्त स्तूप स्थान स्थल स्थिर रूष्ट
कष्ट दृष्टि
पर - बस्ती जस्ता सस्ती मस्ती रस्ता बस्ता
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