शॉर्टहैंड 'स' और स्व वृत्त

 स्व के वृत्त


जो छोटा वृत्त किसी व्यन्जन के साथ लगाने से 'स' को दर्शाता है यदि वही वृत्त बड़ा कर दिया जाये और 'स' वृत्त के ही स्थान पर किसी व्यंजन के आरम्भ में लगाया जाये तो वः बड़ा वृत्त 'स्व' को प्रकट करता है।
जैसे नीचे -


1.स्वर       स्वतः         स्वप्न         स्वामिन        स्वागत
इसमें मात्रा आदि भी 'स' वृत्त के नियमानुसार ही लगती है और अगर इस 'स्व' वृत्त पहले कोई मात्रा आये चाहे वह मात्र आ या अ की ही क्यों न हो शब्द संकेत पूरे 'स' और 'व' को मिलकर ही लिखा जायेगा ।
ऊपर चित्र  

2. आश्वासन      अश्व       यशस्वी      तेसस्वि
इस 'स्व'  वर्त्त का प्रयोग बीच में और अंत में नहीं होता । य, व् और ह के आरम्भ में भी यह नही आता है यदि बीच में आये तो 'स' वृत्त और 'व' पूरा लिखा जाता है।



 स, श और ज वृत्त

चूँकि ये 'स' , 'श' वृत्त शब्दों में सबसे पहले और अंत में पढ़े जाते हैं इसलिये यदि शब्द के पहले और अन्त में मात्रा आये या किसी शब्द में 'स' अकेला व्यंजन हो तो 'स' को वृत्ताकार न बनाकर 'स' व्यंजन का पूरा संकेत लिखना चाहिए।

1. पैसा    आस    ओसारा     मूसा      तासा      शो

2.आसामी        असली         अस्तबल        असेम्बली

3.मरूसी          खुशी             पासी              हँसी

परन्तु अगर आरम्भ में 'अ' या 'आ'  की मात्रा आये या अन्त में 'ई'  की मात्रा आये तो आरम्भ में एक छोटा सा डैस लगाकर वृत्त लिखा जाये और अंत में वृत्त को बढ़ाकर  एक छोटा सा डैस लगा दिया जाता है।

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