2.सम्भव असंख्य ध्येय अनुपस्थित
3.असबाब आरम्भ बतौर-नमूना उपस्थित
4.उधोग-धन्धा कपड़ा कदाचित कदापि
5.क्योंकि कहावत क्रमशः कम्पनी
6.काफी कामयाब खजांची खजाना
9.तकलीफ चाल-चलन प्रतिशत
प्रत्यक्ष
प्रत्यक्ष
10.प्रतिद्वन्दिता पवित्रात्मा प्रियवर पालनहार
11.पवित्रताई पवित्रता बेवकूफ
बैकुण्ठ
बैकुण्ठ
12.भयानक भयंकर भलमानसी
भारतवर्ष
भारतवर्ष
13.मधु-मक्खी मनमाना संयोग
मण्डप
मण्डप
14.रंग-बिरंगा राम -राम राजसिंहासन भारतवर्ष
15.लाभदायक लिफाफा बंशावली
व्यायाम
व्यायाम
16.वाद-विवाद वादनुवाद विद्याभ्यास
शायद
शायद
17. शिष्टचार सचमुच सम्मुख
समीप
समीप
18.अध्याय कतिपय प्रधानता
सम्बन्ध
सम्बन्ध
अभ्यास
संसार के करीब-करीब सभी लाभदायक वस्तुएं अब भारतवर्ष /में मिलती-है।उधोग-धन्धे में भी अब तक आगे बढ़/ रहा- है ।
यहाँ के कुशल ग्रन्थकार हर-एक विषय-पर / ग्रन्थों को लिखकर प्रकाशित करा-रहे-है। स्त्रियों का आदर्श /भी बहुत
ऊँचा है।वे बड़ी भलिमानस और पवित्रता-/होती- है।
कुछ ऐसे बेवकूफ भी -हैं जो भयानक-से/-भयानक काम -करने-में भी शायद न हिचकें। वे किसी/-के खजाने को गायब कर - देना,खजांची को तकलीफ देना,/ किसी पवित्रात्मा की अनुपस्थिति या उपस्थित ही में उसका सारा/ माल असवाब कपडा-लत्ता आदि को उड़ा देना ,मनमाना काम -करना, मधु-मक्खियों के पीछे-पड़ना,अत्याचार करना ही अपना / धर्म समझते हैं।
ऐसे आदमी आरम्भ में चाहे संभव /-असम्भव कार्य करके कामयाब हो लें पर अन्त में गिरफ्तारी से/कदापि नहीं बच-सकते।गिरफ्तार होते-ही-हैं। सुख -दुख/का तो यह अनुभव करते -ही -है पर ऐसे असभ्य/होते-है कि किसी भी समाज में इनका-रखना ठीक/नहीं।
यहाँ के कुशल ग्रन्थकार हर-एक विषय-पर / ग्रन्थों को लिखकर प्रकाशित करा-रहे-है। स्त्रियों का आदर्श /भी बहुत
ऊँचा है।वे बड़ी भलिमानस और पवित्रता-/होती- है।
कुछ ऐसे बेवकूफ भी -हैं जो भयानक-से/-भयानक काम -करने-में भी शायद न हिचकें। वे किसी/-के खजाने को गायब कर - देना,खजांची को तकलीफ देना,/ किसी पवित्रात्मा की अनुपस्थिति या उपस्थित ही में उसका सारा/ माल असवाब कपडा-लत्ता आदि को उड़ा देना ,मनमाना काम -करना, मधु-मक्खियों के पीछे-पड़ना,अत्याचार करना ही अपना / धर्म समझते हैं।
ऐसे आदमी आरम्भ में चाहे संभव /-असम्भव कार्य करके कामयाब हो लें पर अन्त में गिरफ्तारी से/कदापि नहीं बच-सकते।गिरफ्तार होते-ही-हैं। सुख -दुख/का तो यह अनुभव करते -ही -है पर ऐसे असभ्य/होते-है कि किसी भी समाज में इनका-रखना ठीक/नहीं।
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