साधारण संक्षिप्त- संकेत-3
1. संगठन कार्यवाही महापुरुष दिलचस्पी
2. तजबीज मातृभाषा लेखक जयजयकार
3. मंत्री दृढ़ दृढ़- विश्वास प्रतिष्ठित
4. बैमनस्थ वर्तमान शोभायमान परिच्छेद
5. पारस्परिक दिग्दर्शक अंत्येष्टि-क्रिया निष्पक्ष
6. साहित्य भोजनालय दरिद्र समर्थक
7. समर्थन एम०एल०ए० एम०एल०सी त्याग
8.सर्वनाश प्रगतिशील गौरवमय सार्वजानिक
9. सर्वोत्तम व्यवहार अवकाश उत्साहपूर्वक
आजकल प्रगतिशील राष्ट्रीयतावादी सारे राष्ट्र का एकी कारण और दृढ़ संगठन/के विचारार्थ हिंदी -उर्दू के वर्तमान पारस्परिक
वैमनस्थ की अंत्येष्टि क्रिया/करने में बड़ी दिलचस्पी से उत्साह-पूर्वक पूर्वक बिना अवकाश लिए लगातार काम कर रहे हैं। हर्ष-कि-बात यह- है-/ कि बड़े-बड़े महामहोपाध्याय, मातृभाषी और मातृ-भूमि/के सेवक,प्रतिष्टित लेखक ,पत्र सम्पादक, बहुतेरे राजनीतिपटु एम०एल०ए० /और महात्मा-गाँधी भी इनकी नीति का हृदय-से-समर्थन- करते - हैं। /हमारे मुसलमान नेतागण तो इसके पक्के समर्थक हैं तथा /अन्य प्रगतिशील मुसलमान भी इस स्कीम से पूर्ण /सहानुभूति रखते-हैं। इतना -ही-नहीं- भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण / रखने वाले भी इस बात को नामन्जूर नहीं कर सकते कि/हिन्दुस्तानी की तजबीज का विरोध करने से भविष्य में/देश को पश्चाताप के कडुवे फल अवश्य ही चखने पड़ेंगे/। देश को एकता के सूत्र में बाँधने का यह - भी/ सर्वोत्तम उपाय है कि हम बनावें और व्यवहार में / लावें। कुशल राजनीतिज्ञ तो असहयोग के जमाने के पूर्व ही/ से राष्ट्रभाषा की आवश्यकता समझते-थे। वे जानते-थे/ की राष्ट्रीयकरण करने-के-लिए भारत ऐसे बहुभासी देश में/राष्ट्रभाषा के निर्माण का प्रशन उठेगा । वे लोग ठीक-ही/कहते-थे कि यदि ऐसा- न-हुआ -तो देश का/सर्वनाश हुए-बिना न रहेगा।
वैमनस्थ की अंत्येष्टि क्रिया/करने में बड़ी दिलचस्पी से उत्साह-पूर्वक पूर्वक बिना अवकाश लिए लगातार काम कर रहे हैं। हर्ष-कि-बात यह- है-/ कि बड़े-बड़े महामहोपाध्याय, मातृभाषी और मातृ-भूमि/के सेवक,प्रतिष्टित लेखक ,पत्र सम्पादक, बहुतेरे राजनीतिपटु एम०एल०ए० /और महात्मा-गाँधी भी इनकी नीति का हृदय-से-समर्थन- करते - हैं। /हमारे मुसलमान नेतागण तो इसके पक्के समर्थक हैं तथा /अन्य प्रगतिशील मुसलमान भी इस स्कीम से पूर्ण /सहानुभूति रखते-हैं। इतना -ही-नहीं- भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण / रखने वाले भी इस बात को नामन्जूर नहीं कर सकते कि/हिन्दुस्तानी की तजबीज का विरोध करने से भविष्य में/देश को पश्चाताप के कडुवे फल अवश्य ही चखने पड़ेंगे/। देश को एकता के सूत्र में बाँधने का यह - भी/ सर्वोत्तम उपाय है कि हम बनावें और व्यवहार में / लावें। कुशल राजनीतिज्ञ तो असहयोग के जमाने के पूर्व ही/ से राष्ट्रभाषा की आवश्यकता समझते-थे। वे जानते-थे/ की राष्ट्रीयकरण करने-के-लिए भारत ऐसे बहुभासी देश में/राष्ट्रभाषा के निर्माण का प्रशन उठेगा । वे लोग ठीक-ही/कहते-थे कि यदि ऐसा- न-हुआ -तो देश का/सर्वनाश हुए-बिना न रहेगा।
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