संक्षिप्त- संकेत
1.मजबूत मौजूद मौजूदा मातहत
2.दस्तखत कहावत नतीजा तजर्बा
3.इत्तफाक रोजनामचे बिरादरी ताईद तादाद
4.बाकायदा बेकायदा बदस्तूर मुलाकात
5.मुल्क फरमाबरदारी बिला-वजह अदीमुल फुरसत
6.बदेहतियात कामयाब दरियाफद कवायद
8. कम-अक्ली लापरवाही हरकत ढकोसलेबादी
अभ्यास
उर्दू भाषा के संक्षिप्त संकेतों पर अभ्यास
एक बहादुर सिपहसालार किसी ताकतवर के मुकाबले में भी कामयाबी/को हासिल -ही-करता-है। वः अपने मंजिल- मकसूद पर /पहुंचने के लिए बड़ी एहतियाती के साथ मुस्तकिल कदमों को/उठाता हुआ बढ़ता-है ।यह बड़े मसक्कत का काम है ।/ इसमें अगर उसने जरा भी लापरवाही ,कमअक्ली, खुदगर्जी दिखलाई/ या धकोलेबाजी को पास आने दिया की बस फिर /वह इम्तहान में नाकामयाब हुआ।
हर -एक पुरअसर/ हाकिम का यह फर्ज है कि वह तक्लीफजड़ों की तकलीफों को/दूर करने-की तरफ काफी तवज्जह दे, बाकायदे फार्माबदारी/ के-लिए अपने मददगारों को इनाम-इकराम बाँटे, और बेवजह होशियार मातहतों को तंग न करें। ऐसा-करने-से उनके/ मातहत भी रोजमर्रा के कामों को हरदम बांसानी लियाकत के /साथ पूरा-करेंगे और अपने अफसर के हुक्म के मुताबिक/ही रोजनामचे को भर -कर दस्तखत करेंगे। तजरबा यह बतलाता है कि मातहतों के काम के लिए जहाँ-तक-हो /- सके बिरादरी के लोगों को इत्तफाक से भी मुकर्रर न-करे, न उन्हें नजदीक ही आने दें, क्योंकि वे अपनी/बेकायदा हरकतों से मुल्क के इंतजाम में रोड़े ही अटकावेगें,/जिसका नतीजा यह-होता-है कि मुल्क में बदइन्तजामी- फैलती है,/और कोई काम ठीक तरह से नहीं होने पाता।
हर -एक पुरअसर/ हाकिम का यह फर्ज है कि वह तक्लीफजड़ों की तकलीफों को/दूर करने-की तरफ काफी तवज्जह दे, बाकायदे फार्माबदारी/ के-लिए अपने मददगारों को इनाम-इकराम बाँटे, और बेवजह होशियार मातहतों को तंग न करें। ऐसा-करने-से उनके/ मातहत भी रोजमर्रा के कामों को हरदम बांसानी लियाकत के /साथ पूरा-करेंगे और अपने अफसर के हुक्म के मुताबिक/ही रोजनामचे को भर -कर दस्तखत करेंगे। तजरबा यह बतलाता है कि मातहतों के काम के लिए जहाँ-तक-हो /- सके बिरादरी के लोगों को इत्तफाक से भी मुकर्रर न-करे, न उन्हें नजदीक ही आने दें, क्योंकि वे अपनी/बेकायदा हरकतों से मुल्क के इंतजाम में रोड़े ही अटकावेगें,/जिसका नतीजा यह-होता-है कि मुल्क में बदइन्तजामी- फैलती है,/और कोई काम ठीक तरह से नहीं होने पाता।
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